समर्पण-प्रस्तुत उदात्त प्रेम सागर-सा गम्भीर होता है। समर्पण-प्रस्तुत उदात्त प्रेम सागर-सा गम्भीर होता है।
यानी कि ज़िन्दगी को ज़िन्दगी के लिए जीते हुए देखना ! यानी कि ज़िन्दगी को ज़िन्दगी के लिए जीते हुए देखना !
ज़रा पूछें उसका मिज़ाज चलें, आओ प्रकृति के पास चलें। ज़रा पूछें उसका मिज़ाज चलें, आओ प्रकृति के पास चलें।
इमारत के पीछे से उदित होता हैं जहां से कोई किरण, शायद हर दिल की झोंपड़ी तक नहीं पहुंच इमारत के पीछे से उदित होता हैं जहां से कोई किरण, शायद हर दिल की झोंपड़ी तक न...
मेरा सोलमेट बन कर, अपनी प्रीत को, असीम कर जाना। मेरा सोलमेट बन कर, अपनी प्रीत को, असीम कर जाना।
तुम मेरा जीवन श्रृंगार हो पल पल ह्रदय की आस हो। तुम मेरा असीम प्यार हो जीवन पुलकित तुम मेरा जीवन श्रृंगार हो पल पल ह्रदय की आस हो। तुम मेरा असीम प्यार हो ...